Editorial: संयुक्त राष्ट्र में पाक का प्रलाप और भारत की फटकार
- By Habib --
- Friday, 28 Feb, 2025

Pakistan's rant in the United Nations and India's rebuke
Pakistan's rant in the United Nations and India's rebuke: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान की ओर से किए गए अनर्गल प्रलाप का भारत की ओर से बेहद सख्त जवाब देना उचित है। भारत ने उसे विफल राष्ट्र करार देते हुए यह भी कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय मदद पर पोषित है। वास्तव में इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान के शासकों न उसकी विफलता का बीज साल 1947 में ही रोप दिया था। इसके बाद तो उस फसल को पाकिस्तानी काटते और फिर से बीजते आए हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि किसी भी स्तर पर पाकिस्तान को स्वीकार नहीं किया जाता। बीते दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को उन विमानों की देखभाल के लिए एक मोटी रकम जारी की है, जिन्हें खुद अमेरिका ने ही पाक को दिया था, हालांकि इसके साथ यह शर्त भी लगाई गई है कि इन विमानों का प्रयोग आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता।
जाहिर है, पूरा विश्व यह जान चुका है कि पाकिस्तान किस प्रकार आतंकवाद की फैक्टरी बन चुका है और उसकी वजह से दक्षिण एशिया में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। एक समय मुस्लिम देशों की एकजुटता के बूते भारत के लिए समस्या पैदा करने वाला पाकिस्तान आज खुद अपने मुस्लिम पड़ोसी देशों से तकरार कर रहा है और इसका परिणाम भीषण जान-माल के नुकसान के रूप में झेल रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है और उसकी जनता कंगाली की स्थिति में है। यह सब इसलिए हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ भारत ने व्यापारिक संबंधों को भी खत्म कर लिया है और उसे अपने हाल पर छोड़ दिया। पाकिस्तान ने बीते दिनों संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था, जो उसकी बौखलाहट को दर्शाता है। हालांकि अब संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर उसने भारत के खिलाफ विष वमन करके अपनी नापाक सोच का परिचय दिया है।
गौरतलब है कि जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के नियमित सत्र में पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया गया। पाकिस्तान के लिए जम्मू-कश्मीर वह दुखती रग है, जोकि उसे आगे नहीं बढ़ने दे रही। पाकिस्तान का युवा देश की गरीबी और बेहाली के लिए हुक्मरानों को दोषी ठहरा रहा है और भारत की तरक्की से अपनी तुलना कर रहा है। हालांकि इन्हीं युवाओं को देश के कट्टरपंथी फुसला कर भारत के खिलाफ आतंकी बना रहे हैं और फिर उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंक को फैलाने के लिए भेज रहे हैं। यह बुधवार की ही वारदात है, जब राजौरी में सेना केे वाहन पर आतंकी हमला हुआ था और एक पठानकोट में एक पाक घुसपैठिए को मार गिराया गया। यानी एक तरफ पाकिस्तानी हुक्मरान आतंकियों को पाल पोस कर उन्हें भारत की सीमा में दहशत फैलाने के लिए भेज रहे हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के खिलाफ विष वमन कर रहे हैं। आखिर इसका जवाब क्यों नहीं सीमा पर भारतीय जवान गोली से और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जुबान से दें। और इसी काम को जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र स्थायी मिशन के काउंसलर क्षितिज त्यागी ने कर दिखाया।
उन्होंने पूर्ण धैर्य के साथ बेहद तीखे शब्दों में पाकिस्तान को इसका अहसास कराया है कि वह कभी जम्मू-कश्मीर को लेकर किसी भी मंच पर सफल नहीं हो सकेगा। न ही सीमा पर गोली चलाकर और न ही संयुक्त राष्ट्र जैसी जगह पर। भारत की ओर से यह कहना सर्वथा उचित है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक नाकाम देश संयुक्त राष्ट्र की परिषद का समय बर्बाद कर रहा है। जाहिर है, पाक जम्मू-कश्मीर के अलावा भी कोई बात कह सकता है, लेकिन उसकी ओर से इसकी कभी चेष्टा नहीं की जाती है। न वह अपनी जनता के कल्याण, उसकी शिक्षा, चिकित्सा और उद्योग-धंधों की बात करता है और न ही विश्व में शांति और स्थायित्व की बात करता है। उसके राजनयिकों की सुई जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 के खात्मे पर आकर अटक जाती है। यह भी कितना शर्मनाक है, जिस देश में मानवाधिकारों का हनन नहीं अपितु उनका सरेआम कत्ल होता हो, वह कभी इस बारे में बात नहीं करता।
वास्तव में पाकिस्तान का सच आज दुनिया के सामने है। हालांकि अनेक देश कूटनीतिक तरीके से भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई भी सीधे तरीके से पाक को गलत नहीं ठहराता और यही राजनीति है। हालांकि भारत की सोच जम्मू-कश्मीर के संबंध में स्पष्ट है। वह आज भी भारत का अभिन्न अंग है और आगे भी रहेगा। लेकिन पाक की पीढिय़ां यही राग अलापती गुजरती जाएंगी और भारत की ओर से भी इसी प्रकार तीखे जवाब मिलते रहेंगे। पाक की जनता को यह समझना चाहिए कि उसे एक और आजादी चाहिए। इस बार यह आजादी उसके बदहाल संविधान, सिस्टम और सत्ताधीशों से होनी चाहिए।
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